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Monday, September 18, 2023
गणेश चतुर्थी का आयोजन
Friday, September 8, 2023
जन्माष्टमी का आयोजन
केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा मेंआज दिनांक 08 सितम्बर 2023 को जन्माष्टमी के कार्यक्रम का आयोजन बड़े ही उत्साह के साथ किया गया । कार्यक्रम में विद्यालय के बच्चों ने भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं पर आधारित नृत्य एवं गायन किया।
जन्माष्टमी का त्योहार जो पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसे श्री कृष्ण का जन्मदिन कहा जाता है यह हिंदुओं का सुप्रसिद्ध त्यौहार है जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र थे जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को हुआ था इस दिन चंद्रमा वृष राशि और सूर्य सिंह राशि में प्रवेश हुए थे इसलिए इसी काल में श्री कृष्ण के जन्म की खुशी मनाई जाती है और इस दिन श्री कृष्ण को मुख्य रूप से माखन मिश्री का भोग लगाते हैं।
श्री कृष्ण के जन्म से जुड़ी कथा
श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का सबसे शक्तिशाली मानव अवतार कहा जाता है जिनका जन्म पृथ्वी से राक्षसों की बुराई खत्म करने के लिए हुआ था कहा जाता है 5200 साल पहले श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था।
श्री कृष्ण का जन्म कंस नामक राजा के संरक्षण में जेल में हुआ था उनके जन्म के माता-पिता तो देवकी और वासुदेव थे परन्तु पालन-पोषण उनका नंद और यशोदा ने किया था। वासुदेव ने श्री कृष्ण का जन्म होते ही उन्हें नंद को सौंप दिया ताकि वह अपने पुत्र को कंस नामक राक्षस से बचा सके इसीलिए कृष्ण गोकुल में ही पले बढ़े और बड़े होकर श्री कृष्ण ने कंस का वध किया और इस संसार को उसके जुल्म से बचाया।
श्री कृष्ण के जन्मदिन के लिए लोग पूरा दिन उपवास रखते हैं और श्री कृष्ण के लिए विभिन्न प्रकार के भोग तैयार किए जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन कान्हा जी की मूर्ति को दूध, घी, शहद, गंगाजल तथा तुलसी के पत्तों से बने पंचामृत से स्नान कराया जाता है।
भगवान कृष्ण के जन्म से भारतीय संस्कृति का गहरा जुड़ाव है औऱ भगवान कृष्ण ने भगवत गीता में मानव जीवन को सफल बनाने के बहुत से उपदेश दिए हैं। अतः जन्माष्टमी नामक त्योहार लोगों को बहुत भाता है जिसे बड़े ,बूढ़े और आजकल तो बच्चे भी बहुत उत्साह के साथ मनाते है।
पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा
Tuesday, September 5, 2023
शिक्षक दिवस समारोह 5 सितम्बर 2023
जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा सबसे ज्यादा जरुरी है शिक्षक | शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | प्राचीन काल से ही गुरुओं का हमारे जीवन में बड़ा योगदान रहा है | गुरुओं से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं | शिक्षक दिवस पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है. क्या आप जानते हैं कि शिक्षक दिवस 5 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है आइये जानते है इसके बारे में-
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में सम्पूर्ण भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) मनाया जाता है. वह एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे | गुरु का हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है और इसलिए कहा गया है कि-
ऐसा कहा जाता है कि गुरु अर्थात शिक्षक के बिना सही रास्तों पर नहीं चला जा सकता है. वह मार्गदर्शन करते है. तभी तो शिक्षक छात्रों को अपने नियमों में बांधकर अच्चा इंसान बनाते हैं और सही मार्ग प्रशस्त करते रहते है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि जन्म दाता से बढकर महत्व शिक्षक का होता है क्योंकि ज्ञान ही इंसान को व्यक्ति बनाता है, जीने योग्य जीवन देता हैं |
भारत में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है-
यह दिन शिक्षक और छात्रों अर्थार्थ यू कहें तो समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है | इसी दिन शिक्षको को मान-सम्मान देकर उनके काम की सराहना करते है. एक शिक्षक के बिना कोई भी डॉक्टर, इंजीनियर आदि नहीं बन सकता है. शिक्षा का असली ज्ञान सिर्फ एक शिक्षक ही दे सकता है |
शिक्षक दिवस को मनाने कि तिथियां अलग-अलग देशों में भिन्न हैं. क्या आप जानते हैं कि यूनेस्को ने आधिकारिक रूप में 'शिक्षक दिवस' को मनाने के लिए 5 अक्टूबर को चुना अब इसलिए 100 से अधिक देशों में यह 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है |
अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि 5 सितंबर का दिन डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में ही नहीं बल्कि शिक्षकों के प्रति सम्मान और लोगों में शिक्षा के प्रति चेतना जगाने के लिए भी मनाया जाता है |
पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर, मथुरा
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