Tuesday, April 13, 2021

डॉ०भीमराव अंबेडकर जयंती (14/04/2022) की सभी को शुभकामनाएं-


आज केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा अम्बेडकर जयंती पर संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ 0 भीमराव अंबेडकर को नमन करता है जिन्होंने न्याय के लिए संघर्ष किया तथा समाज एवं देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया

अंबेडकर जयंती की शुरुआत कब से हुई ?

अंबेडकर जी की पहली जयंती सदाशिव रणपिसे द्वारा पुणे शहर में 14 अप्रैल 1928 को मनया गया था. और उसी के बाद से  आंबेडकर जयंती की प्रथा की शुरुआत हुई.

14 अप्रैल 2022 को भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ 0 भीमराव अंबेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti 2022)  है. देश इस बार उनकी 131वीं जयंती मनाएगा. एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में डॉ 0 भीमराव अंबेडकर की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है. स्वतंत्रता के बाद भारत में, उनके सामाजिक-राजनैतिक विचारों को पूरे राजनीतिक स्पेक्ट्रम में सम्मानित किया जाता है. जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जो अंबेडकर के विचारों से प्रभावित न हों. भारत के सामाजिक, आर्थिक नीतियों और कानूनी ढांचों में अगर आज कहीं भी प्रगतिशील बदलाव दिख रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं  अंबेडकर के वो विचार हैं जो उन्होंने 60 से 75 साल पहले दिए. कहने में कोई गुरेज नहीं कि डॉ 0 भीमराव अंबेडकर के वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं. अगर आज की युवा पीढ़ी में अगर कहीं ये सवाल है कि आंबेडकर का उनकी पीढ़ी को क्या योगदान है तो जानिए उनके विचारों  को जो आज भी मौके-बे-मौके लोगों द्वारा अपनाए जाते रहे हैं.

डॉ 0 भीमराव अंबेडकर के बारे में-

डॉ 0 भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत (मध्य प्रदेश) के केन्द्रीय प्रांत के महू जिले में एक गरीब महार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था और माता का नाम भीमाबाई था। इनका निधन 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुआ था। भारतीय समाज में अपने दिये महान योगदान के लिये वो लोगों के बीच बाबासाहेब नाम से जाने जाते थे   । आधुनिक बौद्धधर्मी आंदोलन लाने के लिये भारत में बुद्ध धर्म के लिये धार्मिक पुनरुत्थानवादी के साथ ही अपने जीवन भर उन्होंने एक विधिवेत्ता, दर्शनशास्त्री, समाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, मनोविज्ञानी और अर्थशास्त्री के रुप में देश सेवा की। वो स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे और भारतीय संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किया था।

शुरुआती जीवन-

  भारत में सामाजिक भेदभाव और जातिवाद को जड़ से हटाने के अभियान के लिये उन्होंने अपने पूरे जीवनभर तक संघर्ष किया। निम्न समूह के लोगों को प्रेरणा देने के लिये उन्होंने खुद से बौद्ध धर्म को अपना लिया था जिसके लिये भारतीय बौद्धधर्मियों के द्वारा एक बोधिसत्व के रुप में उन्हें बताया गया था। उन्होंने अपने बचपन से ही सामाजिक भेदभाव को देखा था जब उन्होंने सरकारी स्कूल में दाखिला लिया था। उन्हें और उनके दोस्तों को उच्च वर्ग के विद्यार्थियों से अलग बैठाया जाता था और शिक्षक उनपर कम ध्यान देते थे। यहाँ तक कि, उन्हें कक्षा में बैठने और पानी को छूने की अनुमति भी नहीं थी। उन्हें उच्च जाति के किसी व्यक्ति के द्वारा दूर से ही पानी दिया जाता था।

शिक्षा-

अपने शुरुआती दिनों में उनका उपनाम अंबावेडेकर था, जो उन्हें रत्नागिरी जिले में अंबावड़ेके अपने गाँव से मिला था, जो बाद में उनके ब्राह्मण शिक्षक, महादेव अंबेडकर के द्वारा अंबेडकर में बदल दिया गया था  । उन्होंने 1897 में एकमात्र अस्पृश्य के रुप में बॉम्बे के एलफिनस्टोन हाई स्कूल में दाखिला लिया था। इन्होंने 1906 में 9 वर्ष की रामाबाई से शादी की थी। 1907 में अपनी मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने सफलता पूर्वक दूसरी परीक्षा के लिये कामयाबी हासिल की।

अंबेडकर साहब ने वर्ष 1912 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की। बाबा साहेब 3 साल तक हर महीने 11.50 यूरो के बड़ौदा राज्य छाज्ञवृत्ति से पुरस्कृत होने के बाद न्यू यार्क शहर में कोबंबिया विश्वविद्यालय में अपने परास्नातक को पूरा करने के लिये 1913 में अमेरिका चले गये थे। उन्होंने अपनी एमए की परीक्षा 1915 में और अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री 1917 में प्राप्त की। उन्होंने दोबारा से 1921 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स अपनी मास्टर डिग्री और 1923 अर्थशास्त्र में डी.एससी प्राप्त की।

 

अंबेडकर जी ने कहा था- (Ambedkar Quotes)

" वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं".

"शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो"

पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर,मथुरा

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