Wednesday, September 14, 2022


केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा में दिनांक 14 सितम्बर 2022 को हिन्दी  दिवस समारोह आयोजित किया गया ।

हिन्दी दिवस का इतिहास

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। क्यूंकि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत होकर यह निर्णय लिया था की हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य इस महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने का है।
आज की पोस्ट में हम आपको हिंदी दिवस के बारे में अधिक जानकारी देते हुए इसके इतिहास के बारे में भी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे।
14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। लेकिन जब साल 1947 में अंग्रेजों से भारत आजाद हुआ तो भारत के सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था। क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है। 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी। आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ। लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था। काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।
भारतीय संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 (1) में यह वर्णित है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय  होगा  |

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए। आपको बता दें पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था। साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के साथ साथ गांधी जी ने इसे जनमानस की भाषा भी कहा था।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। अंग्रेजी भाषा को हटाए जाने की खबर पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था। तमिलनाडू में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे हुए थे।

खैर जो भी है लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हिंदी हमारी राजभाषा है जिसका हमें सम्मान करना चाहिए। हर जगह हिंदी का प्रयोग करना चाहिए। चाहे वह हिंदी दिवस हो या ना हो। क्योंकि 
हिंदी हैं हम वतन है - हिंदुस्तान हमारा। 
हमारी भाषा हिंदी हिंदुस्तान की शान है, 
इसे आसानी से हम लुप्त होने नहीं देंगे।




पुस्तकालय,केन्द्रीय विद्यालय,रिफाइनरी नगर,मथुरा |

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