Monday, October 31, 2022

राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर 2022


केंद्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा में आज बड़े ही उत्साह के साथ राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर 2022) मनाया गया।

राष्ट्रीय एकता दिवस 2022 पर विद्यालय की श्रीमती वंदना सक्सेना(पी०जी०टी० भूगोल) ने उनकी 147वीं जयंती पर याद करते हुए कहा कि इन्होनें अपनी दूरदर्शिता से एक मजबूत और एकजुट भारत के सपने को साकार किया।

राष्ट्रीय एकता दिवस

§  भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहते हैं।

o    इस दिन को मनाने के पीछे का कारण लोगों को एकजुट करना और समाज के उत्थान के लिये उनके विचारों से अवगत कराना है।

o    इसे पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था।

§  इस दिन सरदार पटेल के राष्ट्रीय अखंडता और एकता में योगदान के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये रन फॉर यूनिटी (Run For Unity)’ जैसे विभिन्न आयोजन किये जाते हैं।

§  वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया था।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:

§  स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंँची (182 मीटर) मूर्ति है। यह चीन की स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध प्रतिमा (Spring Temple Buddha statue) से 23 मीटर ऊंँची तथा अमेरिका में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर लंबा) की ऊंँचाई की लगभग दोगुनी है।

§  जनवरी 2020 में इसे शंघाई सहयोग संगठन में आठ अजूबों में शामिल किया गया था।

सरदार वल्लभभाई पटेल:

:परिचय-

o    सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नाडियाड गुजरात में हुआ था।

o    वे भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे।

o    भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने (एक भारत) तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

· यह विचारधारा अभी भी आत्मनिर्भर भारत पहल में परिलक्षित होती है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है।

o    आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के कारण उन्हें 'भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संतके रूप में भी याद किया जाता है।

§  प्रमुख योगदान:

o    उन्होंने शराब के सेवन, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और गुजरात एवं उससे बाहर महिला मुक्ति के लिये बड़े पैमाने पर काम किया।

o    उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ खेड़ा सत्याग्रह (वर्षं 1918) और बारदोली सत्याग्रह (वर्ष 1928) में किसान हित को एकीकृत किया।

·         बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी, जिसका अर्थ है 'प्रमुख या नेता'

o    वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह (प्रार्थना और उपवास आंदोलन) के दौरान सरदार पटेल ने तीन महीने कैदियों की सेवा की।

o    मार्च 1931 में पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन (46वें सत्र) की अध्यक्षता की, जिसे गांधी-इरविन समझौते की पुष्टि करने के लिये बुलाया गया था।

§  रियासतों का एकीकरण:

o    सरदार पटेल ने लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

o    उन्होंने नवाब द्वारा शासित जूनागढ़ और निज़ाम द्वारा शासित हैदराबाद की रियासतों को जोड़ने के लिये बल का प्रयोग किया था, ये दोनों अपने-अपने राज्यों का भारत संघ के साथ विलय नहीं होने देना चाहते थे।

o    सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ रियासतों का बिखराव और भारत के बाल्कनीकरण को रोका।

o    सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों को ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ एकजुट कियाजिससे भारत को खंडित होने से रोका गया।

·         उन्हें भारतीय रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने और रियासतों के भारतीय संघ के साथ गठबंधन करने हेतु राजी करने के लिये "भारत के लौह पुरुष" के रूप में जाना जाता है।

§  देहांत-

o    15 दिसंबर, 1950 को बॉम्बे में।












पुस्तकालय रिफाइनरी नगर मथुरा

Wednesday, October 19, 2022

कला उत्सव समारोह (18/10/2022)

    केंद्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा में एकता पर्व समारोह शुरू हुआ। इसके अंतर्गत कला उत्सव से संबंधित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

इसमें से चयनित सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी पहले संभागीय स्तर पर तथा उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। कला उत्सव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना, उसे पोषित करना, प्रस्तुत करना और शिक्षा मे कला को बढ़़ावा देना है।

केंद्रीय विद्यालय का मूल भावना ही विविधता में एकता प्रदर्शित करना है। यह विद्यालय अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। भारत विविध भाषाओं और विविध कलाओं से संपन्न एक अद्वितीय राष्ट्र है। विविधता में एकता की खूबसूरती इस देश को महान बनाती है। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों तथा हम सबके मन में एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत बनाते हैं।





 

पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा

Tuesday, October 11, 2022

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस(11 अक्टूबर 2022)

आज केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (11 अक्टूबर 2022) के अवसर पर उन सभी बालिकाओं को नमन और याद करता है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए तथा समाज एवं देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हर साल की तरह 11 अक्टूबर 2022 को  अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस विभिन्न देशों में मनाया जा रहा हैं,इस दिन विभिन्न प्रकार के समारोह आयोजित किए जा रहे है ताकि बालिकाओं के शिक्षा जन्म और नौकरी की जागरूकता को विश्व भर में फैलाया जा सके और उनके जीवन को सरल बनाया जा सके। आज इस हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 से जुड़ी कुछ आवश्यक जानकारियों को सरल शब्दों में साझा कर रहे हैं। 
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे पहले यह एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा शुरू किया गया था और उनके मुहिम का नाम “क्योंकि मैं लड़की हूं” था। इस मुहिम को 2009 में शुरू किया गया था बड़ी तेजी से देश भर में प्रचलित होने के बाद इस मुहिम में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हासिल किया।

2011 में कनाडा सरकार के द्वारा इस मुहिम को राष्ट्र संघ में प्रस्तुत किया और 19 दिसंबर 2011 को पूरी दुनिया में सभी लोगों को यह समझाने के लिए की स्त्री और पुरुष में लैंगिक असमानता के अलावा और किसी भी प्रकार की और समानता नहीं है, के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की तैयारी शुरू की गई और 11 अक्टूबर 2011 से यह मुहिम विश्व के 50 से अधिक देशों में शुरू किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल विश्व की सभी स्त्रियों को पुरुष के बराबर की समानता और समाज में प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए शुरू किया गया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल स्त्री और पुरुष की समानता को दर्शाता है और स्त्री के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को सबके समक्ष रखते है ताकि उनको सम्मान और उसे उनके बलिदान के लिए उन्हें वह हक मिल सके जिसके वह हकदार है।  
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम-

साल 2022 के अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है- 'अब हमारा समय है- हमारे अधिकार हमारा भविष्य' (Our Time is now- our rights, our Future)
पुस्तकालय केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा 

Sunday, October 2, 2022

सभी को महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती की शुभकामनाएं -

केन्द्रीय विद्यालय रिफाइनरी नगर मथुरा में दिनांक 2 अक्टूबर 2022 को महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती समारोह आयोजित किया गया । साथ ही साथ स्वच्छता का संदेश स्वच्छता अभियान चलाकर दिया गया।

Gandhi Jayanti 2022 : हर वर्ष देश में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। यह बात सही है कि गांधी जी भारत की आजादी की लड़ाई में 1915 से सक्रिय हुए। और आजादी की जंग उसके कई दशकों पहले से चल रही थी। लेकिन गांधी जी की एंट्री ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जबरदस्त जान फूंकी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी भूमिका ने भारतीय समाज और राष्ट्रीयता को नए सिरे से गढ़ने में मदद की। उनकी अहिंसक नीतियों और नैतिक आधारों ने और अधिक लोगों को आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने सभी धर्मों को एकसमान मानने, सभी भाषाओं का सम्मान करने, पुरुषों और महिलाओं को बराबर का दर्जा देने और दलितों-गैर दलितों के बीच की युगों से चली आ रही खाई को पाटने पर जोर दिया।

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। उन्हीं के विचारों के सम्मान में 2 अक्टूबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह इस दिन राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है।

यहां पढ़ें गांधी जी से जुड़े रोचक तथ्य:

- महान आविष्कारक अल्बर्ट आइंस्टीन बापू से खासे प्रभावित थे। आइंस्टीन ने कहा था कि लोगों को यकीन नहीं होगा कि कभी ऐसा इंसान भी इस धरती पर आया था। 
- वह कभी अमेरिका नहीं गए और न ही कभी प्लेन में बैठे। 
-उनकी शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े हुए थे। 

- उन्हें 5 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी हत्या हो गई। 
- श्रवण कुमार की कहानी और हरिश्चन्द्र के नाटक को देखकर महात्मा गांधी काफी प्रभावित हुए थे।
- राम के नाम से उन्हें इतना प्रेम था की अपने मरने के आखिरी क्षण में भी उनका आखिरी शब्द राम ही था।
- साल 1930 में उन्हें अमेरिका की टाइम मैगजीन ने Man Of the Year से उपाधि से 
नवाजा था।
- भारत में कुल 53 बड़ी सड़कें महात्मा गांधी के नाम पर हैं। सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं।
- 1934 में भागलपुर में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने अपने ऑटोग्राफ के लिए पांच-पांच रुपये की राशि ली थी।
- यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।
- कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी।

Lal Bahadur Shastri Jayanti : 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता गांधीजी के साथ-साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती होती है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था। काशी विद्या पीठ से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की थी। शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे और सादगी भरी जीवन व्यतीत करते थे।

आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी अहम बातें...

- लाल बहादुर शास्त्री ने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। कहा जाता है कि वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे। क्योंकि जब बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे।

- 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

- लाल बहादुर शास्त्री ने 1921 के असहयोग आंदोलन से लेकर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। शास्त्री जी 16 साल की उम्र में गांधी जी के साथ देशवासियों के लिए असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे।

- शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा।

- सेना के जवानों और किसानों के महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया।

- लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने से पहले रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे।

- 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। उनके शासनकाल में 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ।

- पाकिस्तान से युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेना बंद कर दिया था। 

- 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी। 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु हो गई।







पुस्तकालय,केन्द्रीय विद्यालय,रिफाइनरी नगर मथुरा


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